असंसदीय भाषा को लेकर राहुल सहित विपक्षी नेताओं ने सरकार पर उठाए सवाल

The Political Observer Staff By The Political Observer Staff
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नई दिल्ली: लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी असंसदीय शब्दों की नई सूची को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने इसे गलत ठहराया है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि नए भारत का नया शब्द कोष सामने आया है। इसमें ‘असंसदीय’ शब्द की परिभाषा इस प्रकार है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री की सरकार चलाने की कार्यशैली को चर्चा और बहस में सही ढंग से परिभाषित करने वाले शब्द अब प्रतिबंधित हो गए हैं।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार जिन शब्दों को असंसदीय बना रही है। उन शब्दों का प्रयोग प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय कामकाज में किया है। उन्होंने स्वयं इन शब्दों का प्रयोग किया है और अब इसे गलत क्यों बताया जा रहा है। इस विषय पर संसद में बहस के दौरान हम इसका मुद्दा उठायेंगे।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा और राज्यसभा में 18 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र से शब्दावली को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। लोकसभा सचिवालय की नई बुकलेट में कहा गया है कि जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट जैसे शब्दों को लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय माना जाएगा। इसमें शकुनि, तानाशाह, तानाशाही, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, खून से खेती जैसे शब्द भी शामिल हैं। इनमें लज्जित, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड और अक्षम के लिए प्रयोग होने वाले अंग्रेजी शब्द भी हैं।
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी का इस मुद्दे पर कहना है कि असंसदीय भाषा का मुद्दा नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है यह भी देखना जरूरी है। अगर वे संसद में बोलें कि ‘मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा’ क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया’ तो क्या सरकार ‘फूल’ को असंसदीय घोषित कर देगी?
आम आदमी पार्टी से सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि सरकार की इन शब्दों की सूची को पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कैसे परिभाषित किया जाता है। जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ।
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