चीन और पाकिस्तान दोनों के संबंध काफी अच्छे माने जाते हैं, लेकिन जब लोन माफी के लिए कंगाल पाकिस्तान, चीन के आगे गिड़गिड़ाया तो चीन ने कर्ज राहत देने से साफ मना कर दिया है। पाकिस्तान को अपना ‘आयरन ब्रदर’ बताने एवं खोखली हमदर्दी दिखाने वाले चीन की पोल अब खुलती नजर आ रही है।
कर्ज राहत पर चीन का इंकार :
दरअसल, पाकिस्तान कर्ज के कारण परेशानी में है और वो कंगाली के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में पाकिस्तान ने अपने दोस्त चीन से 3 अरब डॉलर के कर्ज पर राहत मांगी, जिसपर पर चीन ने इंकार कर दिया है। पाकिस्तान चाहता था कि, ”चीन सीपीईसी के तहत बने ऊर्जा प्राेजेक्ट के लिए दिए गए लोन को माफ कर दे।” जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में बनाए ऊर्जा प्लांट के लिए चीन ने करीब 19 अरब डॉलर का निवेश किया है। चीन ने पाकिस्तान के ऊर्जा खरीद पर हुए समझौते को पुनर्गठित करने के अनुरोध को खारिज कर दिया और कहा कि, ”कर्ज में किसी भी राहत के लिए चीनी बैंकों को अपने नियम और शर्तों में बदलाव करना होगा। चीनी बैंक पाकिस्तान सरकार के साथ पहले हुए समझौते के किसी भी शर्त को बदलने के लिए तैयार नहीं हैं।”
पाकिस्तान पर डिफाल्टर होने का मंडरा रहा खतरा :
पाकिस्तान के PM इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सीनेटर और उद्योगपति नौमान वजीर ने कहा- नेशनल इलेक्ट्रिक पॉवर रेगुलेटरी अथॉरिटी ने जिस समय निजी क्षेत्र को ऊर्जा उत्पादन की अनुमति प्रदान की थी, उस समय टैरिफ बहुत ज्यादा रखा गया। इसका खुलासा पाकिस्तान के पॉवर सेक्टर को लेकर हुए एक जांच में हुआ। कर्ज के बोझ के तले दबे पाकिस्तान पर डिफाल्टर होने का खतरा मंडरा रहा है।
बता दें कि, कंगाल पाकिस्तान पर 30 दिसंबर, 2020 तक कुल 294 अरब डॉलर का कर्ज था जो उसकी कुल जीडीपी का 109% है। तो वहीं, आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है- कर्ज और जीडीपी का यह अनुपात वर्ष 2023 के अंत तक 220% तक हो सकता है।