ट्रिब्यून न्यूज टीम (उत्तरकाशी)
कोविड-19 एक स्पीडब्रेकर से ज्यादा कुछ नहीं; फिर दौड़ेगा ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर; आने वाले वर्षों में घरेलू पर्यटकों की हिस्सेदारी बढ़ेगी: रिपोर्ट
कोविड-19 की वजह से ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को जोरदार झटका लगा है। अलग-अलग सर्वे, स्टडी रिपोर्ट्स दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इसके प्रतिकूल असर की बात कर रही हैं। इसके बाद भी इंडस्ट्री के कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि कोविड-19 एक स्पीडब्रेकर है।
कुछ दिन पहले जॉब्स वेबसाइट इंडीड ने कहा कि कई यूरोपीय और एशियन देशों में टूरिज्म से जुड़े जॉब्स में 25% तक की गिरावट आई है। इंडीड की रिपोर्ट के मुताबिक टूरिज्म और हॉस्पिटेलिटी से जुड़ी जॉब पोस्टिंग्स और सर्च में करीब 40% तक की गिरावट आई है।
यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि टूरिज्म सेक्टर के भविष्य पर दोबारा विचार करने का वक्त आ गया है। इसमें यह भी देखना होगा कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के जरिए यह सेक्टर किस तरह टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में अपना योगदान दे सकता है।
भारत में 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
केअर रेटिंग्स की एक स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 इंफेक्शन और भारतीय टूरिज्म इंडस्ट्री को 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। ट्रैवल से जुड़े प्रतिबंधों और लॉकडाउन की वजह से इसका इम्पैक्ट बढ़ गया।
फिक्की ने जून में ट्रैवल एंड टूरिज्म रिपोर्ट जारी की। यह कहती है कि भारत में इस सेक्टर को 16.7 बिलियन डॉलर को नुकसान हुआ है। करीब पांच करोड़ नौकरियां खतरे में हैं। भारत में एविएशन सेक्टर को 11.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और करीब 29 लाख नौकरियां खतरे में हैं।
भारतीय होटल उद्योग को भी महामारी का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और अनुमानित नुकसान 6.3 बिलियन डॉलर रहा। यह नुकसान बढ़कर 14 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें संगठित और असंगठित सेग्मेंट के होटल्स और एकमोडेशन शामिल हैं।
हालांकि, यह रिपोर्ट भविष्य के लिए बहुत ही उज्ज्वल तस्वीर पेश कर रही है। इसके मुताबिक, 2019 में डोमेस्टिक टूरिस्ट की सेग्मेंट में हिस्सेदारी 83% थी, जो 2028 तक बढ़कर करीब 89% तक पहुंच जाएगी। यानी विदेशी टूरिस्ट पर निर्भरता कम हो जाएगी।
पर्यटकों की राह देखती हर्षिल की मनमोहक वैली
हर्षिल उत्तरकाशी से ७३ किलोमीटर आगे और गंगोत्री से २५ किलोमीटर पीछे तक सघन हरियाली से आच्छादित है। गढ़वाल के अधिकांश सौन्दर्य स्थल दुर्गम पर्वतों में स्थित हैं जहां पहुंचना बहुत कठिन होता है। यही कारण है कि प्रकृति प्रेमी पर्यटक इन स्थानों पर पहुंच नहीं पाते हैं। लेकिन ऐसे भी अनेक पर्यटक स्थल हैं जहां सभी प्राकृतिक विषमता और दुरुहता समाप्त हो जाती है। वहां तक पहुंचना सहज और सुगम होता है। यही कारण है कि इन सुविधापूर्ण प्राकृतिक स्थलों पर अधिक पर्यटक पहुंचते हैं। प्रकृति की एक ऐसी ही एक सुंदर उपत्यका है, हरसिल।
यहां का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है। घाटी के सीने पर भागीरथी का शान्त और अविरल प्रवाह हर किसी को आनन्दित करता है। पूरी घाटी में नदी-नालों और जल प्रपातों की भरमार है। हर कहीं दूधिया जल धाराएं इस घाटी का मौन तोडने में डटी हैं। नदी झरनों के सौंदर्य के साथ-साथ इस घाटी के सघन देवदार के वन मनमोहक हैं। जहां तक दृष्टि जाती है वृक्ष हि वृक्ष दिखाई देते हैं। यहां पहुंचकर पर्यटक इन वृक्षों की छांव तले अपनी थकान को मिटाता है। वनों से थोडा ऊपर दृष्टि पडते ही आंखें खुली की खुली रह जाती है। हिमाच्छादित पर्वतों का आकर्षण तो देखते ही बनता है। ढलानों पर फैले हिमनद भी देखने योग्य है।
दिल्ली-हरिद्वार-हरसिल रिज, अरावली पर्वत श्रृंखला के उत्तरी फैलाव का भूमिगत रिज है, जिसका फैलाव उत्तर उत्तरपूर्व-दक्षिण दक्षिण पश्चिम तक है और जिसका विस्तार अजमेर और जयपुर से होता हुआ आगे अंबा माता-देरि से दिल्ली तक है।
नवंबर-दिसंबर के महीने में जब यहां बर्फ की चादर जमी होती है तो यहां का सौंदर्य और भी खिल उठता है। बर्फबारी के शौकीन इन दिनों यहां पहुंच सकते हैं। पर्यटकों को यात्रा के दौरान इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वर्ष के किसी भी महीने आएं लेकिन हर समय गरम कपडे़ साथ होने चाहिए। यहां पर खाने-पीने के लिए साफ और सस्ते होटल सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं जो बजट के अनुरूप होते हैं। हरसिल में ठहरने के लिए लोकनिर्माण विभाग का एक बंगला, पर्यटक आवास गृह और स्थानीय निजी होटल हैं। यहां खाने-पीने की पर्याप्त सुविधाएं हैं। गंगोत्री जाने वाले यात्री कुछ देर यहां रुककर अपनी थकान मिटाते हैं और हरसिल के सौंदर्य का लुत्फ लेते हैं।
कोरोना लॉकडॉउन का असर !
लॉकडाउन की वजह से घाटी में सन्नाटा पसरा हुवा हैं। होटल और गेस्ट हाउस को कोरोना लॉकडाउन के तहत बंद किया गया हैं । यात्री प्रवेश पर भी रोक लगाई गई हैं ।
दिनेश रावत गांव प्रधान हर्षिल
वही गांव प्रधान दिनेश रावत कोरोना और उसकी त्यारियों को लेकर सजग दिखे उन्होंने बताया कि हर्षिल को पूरी तरह से लॉकडाउन किया गया हैं । बाहरी लोगों का प्रवेश निषेध हैं। और सामूहिक बातचीत के बाद सभी निजी होटल्स को कुछ समय के लिए यात्री प्रवेश ना करवाने का निर्णय लिया गया हैं । इस वक्त हमारे लिए लोगों की सुरक्षा सर्वप्रथम हैं । आने वाले समय में सरकार के गाइडलाइंस के तहत निर्णय लिए जायेंगे।
माधवेंद्र रावत ( समाजसेवी, हर्षिल)
का कहना हैं कि अभी इस महामारी के खत्म होने पर संशय हैं अगर यह लॉकडॉन इसी तरह जारी रहा तो हर्षिल के होटल कारोबारियों और पर्यटन से जुड़े लोगों की रोजी रोटी पर संकट आ जायेगा ।
लोगों ने होटल्स और गेस्ट हाउस के लिए लोन लिए हुए हैं । मेरा मानना हैं उत्तराखंड सरकार को कोरोना रिपोर्ट की जांच पड़ताल के बाद लोगों को परदेस में आने दिया जाए ताकि पर्यटन उद्योग चलता रहे ।
उम्मीद हैं कुछ वक्त में माहौल फिर से सामान्य होगा और हर्षिल की वादियां फिर से पर्यटकों से गुलज़ार हो जाएंगी।
Tribune News ,Special Team Report , Harshil Uttrakhand ।