कोरोना से बचाने में टीके कितने कारगर हैं?, Covid-19 के नए वेरिएंट से कैसे बचें? पेश हैं कोविड-19 टीकाकरण संबंधी सवालों के जवाब।
हाइलाइट्स –
- कोरोना का नित नया अवतार
- देशों के बीच टीकाकरण का असंतुलन
- ब्राजील, अमेरिका के नामों के संस्करण
- अय्यार वैरिएंट्स से लड़ने पुराना वैक्सीन!
-
टीके (Vaccines) हमें कोरोना वायरस (coronavirus) से बचाने में खासे मददगार साबित हो रहे हैं। हालांकि कोरोना वायरस के नये स्वरूपों (coronavirus variants) के सामने आने का क्रम जारी रहने से कोरोना वायरस की गुत्थी ज्यादा जटिल नजर आ रही है।
कोरोना से बचाने में टीके कितने कारगर हैं?, Covid-19 के नए वेरिएंट से कैसे बचें? राज खास में पेश हैं कोविड-19 टीकाकरण संबंधी सवालों के जवाब।
“शैतान पहले से ही यहां मौजूद है” –
कोरोना वायरस वैरिएंट्स के बारे में कोई भी खबर डरावनी मूवी की तरह लग सकती है। डबल म्यूटेंट” (“double-mutant”) यानी “दोहरे उत्परिवर्ती” वायरस, “वैक्सीन-इवेडिंग” (“vaccine-evading”) वैरिएंट्स और यहां तक कि, “ईक” म्यूटेशन (“Eek” mutation) जैसे नाम आपको परेशान कर सकते हैं। सूक्ष्म जीवों पर गति में आई खोजों से इस बात को बल मिलता दिख रहा है कि, “शैतान पहले से ही यहां (हमारे ग्रह पृथ्वी पर) मौजूद है।”
“स्कैरिएंट्स” खतरे का अलार्म –
वायरस के नये प्रकारों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को प्रबल किया है। कई देशों में सामने आए वायरस के नए वैरिएंट्स एक तरह से खतरे का अलार्म है। इस बीच यह गलत धारणा भी मानव स्मृति में घर बना रही है कि, टीके वायरस के विभिन्न वैरिएंट्स से रक्षा नहीं कर सकते।
मैं इनके (वैरिएंट्स) के लिए “स्कैरिएंट्स” टर्म का प्रयोग करता हूं।
डॉ. एरिक टोपोल (Dr. Eric Topol), ला जोला, कैलिफ़ोर्निया में प्रोफेसर
मीडिया कवरेज! –
वेरिएंट के मीडिया कवरेज के बारे में अधिक जानकारियों की ओर ध्यानाकर्षित करते हुए डॉ. टोपोल कहते हैं कि, “यहां तक कि मेरी पत्नी भी कहती है, ‘यह दोहरा उत्परिवर्ती (double mutant) क्या है?’ यह मुझे परेशान कर देता है। लोग बेवजह डरते हैं। यदि आपने पूरी तरह से टीका लगवाया है, तो दो सप्ताह की खुराक के बाद आपको वेरिएंट की चिंता नहीं करनी चाहिए।“
अय्यार वायरस –
वायरस की अय्यारी स्वास्थ्य वैज्ञानिकों के लिए परेशानी का सबब है। लगातार स्वरूप बदल रहे वायरस के आज पूरे विश्व में नए संस्करण महामारी के दौरान तेजी से सामने आ रहे हैं।
म्यूटेशंस कितने खतरनाक? –
कुछ म्यूटेशंस (उत्परिवर्तन) मायने नहीं रखते, लेकिन दूसरे म्यूटेशंस से ज्यादा टेंशन है। ये वे उत्परिवर्ती हैं जो ऐसे वैरिएंट्स (प्रकार) को बनाने में सक्षम हैं जो तेजी से माहौल में फैलकर लोगों को बड़ी संख्या में रुग्ण कर दें।
अधिक संक्रामक वैरिएंट्स के बढ़ने के कारण दुनिया में कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में वृद्धि हुई है। जिन लोगों ने बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करने टीका नहीं लगवाया है उनके लिए समस्या ज्यादा मुखर कही जा रही है।
टीकाकरण का असंतुलन –
संयुक्त राज्य अमेरिका और कई अन्य विकसित देशों ने टीकाकरण के सार्थक आंकड़े प्रस्तुत किये हैं। हालांकि दुनिया की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा मामले में काफी पीछे है। कुछ देशों ने तो अब तक वैक्सीन की सिंगल डोज़ तक की खबर नहीं दी है!
वैक्सीन की ताकत –
यह सच है कि टीकों के अलग-अलग वैरिएंट का मुकाबला करने में सफलता की दर अलग-अलग है। लेकिन फिलहाल यह धारणा सर्वदा गलत है कि, वैक्सीन सभी वेरिएंट के खिलाफ काम नहीं करती है।
वास्तव में, उपलब्ध टीकों ने अभी तक उल्लेखनीय रूप से काम किया है। न केवल संक्रमण को रोकने में बल्कि गंभीर बीमारी से बचाने और अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में भी वायरस से बचाव के टीके कारगर साबित हुए हैं।
ये जो वैरिएंट्स हैं इनके कारण ही टीकाकरण ज्यादा जरूरी हो गया है। जिन टीकों (vaccines) का हम उपयोग कर रहे हैं वे निम्न पंक्ति के वो वैक्सीन हैं जो हमारे परिवेश में वायरस के मौजूद प्रमुख वैरिएंट्स से सुरक्षा में कारगर हैं। साथ ही हेल्थ एक्सपर्ट्स ने अन्य बीमारी प्रकारों से रक्षा में भी इन वैक्सीन को मददगार बताया है।
भ्रम का हिस्सा –
क्या वाकई टीका वायरस से बचाव में सक्षम है? भ्रम का यह हिस्सा लोगों के मस्तिष्क में घर कर गया है! लोगों को वैक्सीन लगवाने का विचार उसे (वैक्सीन को) वास्तव में लगवाने से ज्यादा भयावह लगने लगा है!
दो वैक्सीन 95 फीसद प्रभावी –
दुनिया में हेल्थ से जुड़ीं अब तक की प्रमुख खबरों के मुताबिक, कोरोना वायरस के घातक असर से बचाव में दो टीके लगभग 95 प्रतिशत प्रभावी साबित हुए हैं। इन रिजल्ट से वैक्सीन की सफलता को आधार मिला है।
कोरोना वैरिएंट्स और वैक्सीन –
कोरोना के वैरिएंट्स और उसके निदान के लिए अपनाए जा रहे उपायों (वैक्सीन) से जुड़े कुछ सामान्य सवालों को ऐसे समझा जा सकता है।
अमेरिका में कौन सा वैरिएंट खतरनाक? –
संयुक्त राज्य अमेरिका में मुझे वायरस के किस वैरिएंट का सामना करना पड़ सकता है? तो आपको बता दें, B.1.1.7 नामक संस्करण, जिसे पहली बार ब्रिटेन में पहचाना गया था, अब संयुक्त राज्य में नए संक्रमण का सबसे आम स्रोत है।
114 देशों में दस्तक –
वायरस के इस अत्यधिक संक्रामक संस्करण का यूरोप में वायरस के प्रसार में मेन रोल है। इस वैरिएंट ने 114 देशों में भी दस्तक दे डाली है।
वायरस का यह संस्करण कोशिकाओं में अधिक प्रभावी तरीके से जुड़ने के लिए उत्परिवर्तन करता है। इसका वाहक उच्च स्तर के वायरस को फैलाने में मददगार हो सकता है साथ ही इससे ग्रसित व्यक्ति दीर्घ काल तक संक्रमित भी रह सकता है।
अत्यधिक संक्रामक –
वायरस B.1.1.7 के बारे में मुख्य चिंता यह है कि यह अत्यधिक संक्रामक है। यह उन क्षेत्रों में तेजी से फैलता है जहां अस्पतालों में इससे जुड़े केसों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
क्या वैक्सीन B.1.1.7 से रक्षा में सहायक है? –
स्वास्थ्य जगत की खबरों के अनुसार उपयोग में आने वाले सभी प्रमुख टीके – फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech), मॉडेर्ना (Moderna), जॉनसन एंड जॉनसन (Johnson & Johnson), एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca), स्पुतनिक (Sputnik) और नोवावैक्स (Novavax) ने बी.1.1.7 (B.1.1.7) के खिलाफ प्रभावी असर दिखाया है।
तमाम अध्ययनों के बाद हम इन्हें कुछ संकेतकों से पहचानते हैं। पहले वैज्ञानिकों ने टीकाकरण करा चुके लोगों के रक्त का टेस्ट ट्यूब में उपयोग यह जानने के लिए किया है कि वैक्सीन की एंटीबॉडीज़ का वायरस के वैरिएंट पर क्या असर है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार B.1.1.7 के खिलाफ वैक्सीन ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है।
क्लीनिकल ट्रायल डेटा –
विशेष रूप से जॉनसन एंड जॉनसन और एस्ट्राजेनेका (जो दुनिया भर में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला टीका है) के क्लिनिकल परीक्षण संबंधी आंकड़ों से पता चलता है कि वे उन क्षेत्रों में संक्रमण और गंभीर बीमारी दोनों को रोकने के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी हैं जहां B.1.1.7 कुप्रभाव दिखा रहा है।
इज़राइल से गुड न्यूज़ – इज़राइल में पात्र आबादी का 80 प्रतिशत टीकाकरण (फाइज़र टीका) किया जा चुका है। ये बात कई तरीके से मायने रखती है। स्कूल, रेस्तरां और कार्य स्थल खुलने लगे हैं। यह सुझाव दिया जा रहा है कि, वैरिएंट्स से प्रभावित लोगों को मिलाकर, वायरस से संक्रमण का खतरा टीकाकरण कराने वालों में कम हुआ है।
यदि वैक्सीन कारगर है तो खबरें क्यों? –
यदि टीके कारगर हैं तो फिर, कोरोना संक्रमण की खबरें क्यों देखने-सुनने में आती हैं? तो इसका जवाब है कि, कोई भी टीका संपूर्णता की गारंटी भले न हो, कुछ मामलों में टीकाकरण करा चुके लोग भी संक्रमित हो जाते हों लेकिन ऐसे मामले बहुत कम हैं। यह तब की बात है जब कोरोना के नए वैरिएंट्स के कारण मामलों की संख्या बढ़ रही हो।
वैक्सीनेशन के बाद संक्रमित होने के क्या खतरे हैं? –
एक सवाल यह भी कौंधना लाजिमी है कि “वैक्सीनेशन के बाद कोरोना से संक्रमित होने के क्या खतरे होंगे?” तो इसका जवाब है कि, फिलहाल तो इसका उत्तर किसी के पास नहीं! लेकिन…मानव जाति को इस अदृश्य शत्रु के बारे में सुराग जरूर मिले हैं।
दरअसल मॉडेर्ना के परीक्षण के दौरान मॉडेर्ना का टीकाकरण कराने वाले 15,210 रोगियों में से मात्र 11 मरीज ही संक्रमित हुए।
फाइज़र और मॉडेर्ना अब टीकाकरण परीक्षण प्रतिभागियों के बीच मामलों का अधिक विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं। संभावना है इससे जुड़ा डेटा कंपनी की तरफ से जल्द जारी कर दिया जाए।