नई दिल्ली: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में पहली बार मेलिनोइस डॉग के प्रशिक्षण और संचालन के लिए आठ महिला जवानों को तैनात किया है। यह डॉग की ऊर्जावान नस्ल है। यह डॉग वामपंथ उग्रवाद से प्रभावित इलाके में आईटीबीपी के जवानों के साथ सेवाएं देते हैं।
आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडेय ने बताया कि केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में आईटीबीपी ने यह पहल की है। आईटीबीपी को अब महिला डॉग हैंडलर्स के रूप में तैनात करने वाला देश का प्रथम सीएपीएफ होने का गौरव प्राप्त हुआ है। डॉग के साथ हैंडलर को प्रारंभ से ही चेतावनी देने के लिए काउंटर इंसर्जेंसी ग्रिड में एरिया डोमिनेशन पेट्रोल (एडीपी) के मोर्चे पर रखा जाता है। इसलिए अब यह महिला डॉग हैंडलर्स बल के जवानों के साथ-साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवाएं देंगी।
आईटीबीपी पंचकूला (हरियाणा) के भानू केंद्र के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डॉग्स (एनटीसीडी) से ये मेलिनोइस डॉग पासआउट होंगे। आईटीबीपी की कांस्टेबल पूजा एवं प्रतिभा का कहना है कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें मेलिनोइस डॉग के प्रशिक्षण के लिए चुना गया है।
ये मेलिनोइस पप्स
स्पार्क, एक्सल, जुली, चार्ली, रोनी, एनी, मेरी और टफी अभी लगभग तीन माह के हैं। इन्हें महिला हैंडलर्स टेक्टिकल बेसिक ओबिडिएंस ट्रेनिंग देंगी। इसके बाद आईटीबीपी दोहरे उद्देश्य वाले इन के-9 टीमों को पेट्रोल एक्सप्लोसिव डिटेक्शन डॉग्स (पीईडीडी) के रूप में तैनात करेगी । आईटीबीपी भारत और चीन की सीमा सुरक्षा के लिए तैनात एक पर्वतीय प्रशिक्षित बल है।
मेलिनोइस डॉग की क्षमता
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस नस्ल के डॉग की तस्वीर के साथ ट्वीट किया था कि यही वो बहादुर डॉग है जिसने यूएस आर्मी के ऑपरेशन के दौरान आईएसआईएस प्रमुख अबू बकर अल बगदादी को पकड़ने और उसे मारने में बेहद खास भूमिका निभाई। यह डॉग आक्रामक होते हैं। इस नस्ल के डॉग का उपयोग मुख्य रूप से विस्फोटक और नशीले पदार्थों का पता लगाने के लिए होता है। यह डॉग फिदायीन अटैक और आतंकी हमले का मुकाबला करने में सक्षम होते हैं। इस डॉग का वजन 25 से 30 किलोग्राम होता है। काले खड़े कान इनकी खास पहचान होती है। यह डॉग दो फीट गहरे गड्ढे में छिपे सबूत भी ढूंढ निकालता है। व्हाइट हाउस की सुरक्षा में बेल्जियन मेलिनोइस तैनात हैं।