प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि प्रदूषण को कम करने और आयात पर निर्भरता घटाने के लिए पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को पांच साल घटाकर 2025 कर दिया गया है। पहले यह लक्ष्य 2030 तक पूरा किया जाना था।
गन्ने और गेहूं व टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से एथेनॉल निकाला जाता है। इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को आमदनी का एक विकल्प भी मिलता है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक समारोह में भारत में 2020-2025 के दौरान एथेनॉल सम्मिश्रण से संबंधित रूपरेखा के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी करने के बाद मोदी ने कहा कि अब एथेनॉल 21वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकताओं से जुड़ गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘एथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ ही एक बेहतर प्रभाव किसानों के जीवन पर भी पड़ रहा है। आज हमने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का संकल्प लिया है।’’
पिछले वर्ष सरकार ने 2022 तक ईंधन ग्रेड के एथेनॉल को 10 प्रतिशत पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य तय किया था।
मोदी ने नए लक्ष्यों को हासिल करने की सफलता के लिए सभी हितधारकों को शुभकामनाएं भी दी।
उन्होंने कहा कि 2014 तक भारत में औसतन सिर्फ एक से डेढ़ प्रतिशत एथेनॉल मिलाया जाता था लेकिन आज यह करीब 8.30 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2013-14 में जहां देश में 38 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीदा जाता था, वह अब आठ गुना से भी ज्यादा बढ़कर करीब 320 करोड़ लीटर हो गया है।’’
उन्होंने बताया कि पिछले साल पेट्रोलियम कंपनियों ने 21,000 करोड़ रुपये का एथेनॉल खरीदा और इसका बड़ा हिस्सा देश के किसानों, विशेष कर गन्ना किसानों को गया और उन्हें इससे बहुत लाभ हुआ।
उन्होंने कहा कि अब एथेनॉल 21वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकताओं से जुड़ गया है और एथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ ही एक बेहतर प्रभाव किसानों के जीवन पर भी पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक सोच, आधुनिक नीतियों से ही ऊर्जा मिलेगी। इसी सोच के साथ हमारी सरकार हर क्षेत्र में निरंतर नीतिगत निर्णय ले रही है।’’