Twitter के बयान के बाद भी दिल्ली हाईकोर्ट ने भेजा नोटिस

THE POLITICAL OBSERVER
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भारत सरकार की चाकू की नोंक पर पिछले कुछ समय से Twitter लगातार बना हुआ है। वहीं, अब दिल्ली हाईकोर्ट ने Twitter इंडिया को को नोटिस भेजा है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Twitter पिछले कुछ समय से लगातार विवादों में घिरी ही नजर आरही है। कभी अपने कंटेंट को लेकर तो कभी किसी अन्य कारण से। केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंटेंट पर फैल रही अश्लीलता पर लगाम कसने के लिए 25 फरवरी, 2021 को सोशल मीडिया के लिए कुछ नए नियम जारी किए थे। इन नियमों का पालन करने के लिए कंपनियों को तीन महीने का समय भी दिया गया था, जिसकी समय अवधि कल यानि 26 मई को पूरी हो चुकी है। हालांकि, इसी बीच Twitter ने अपना बयान जारी किया था, लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस भेजा है।

Twitter के खिलाफ नोटिस :

दरअसल, भारत सरकार की चाकू की नोंक पर पिछले कुछ समय से Twitter लगातार बना हुआ है। वहीं, अब दिल्ली हाईकोर्ट ने Twitter इंडिया को को नोटिस भेजा है। इस नोटिस के बाद मोदी सरकार और दिल्ली हाईकोर्ट दोनों का ही Twitter इंडिया के खिलाफ कड़ा रुख साफ नजर आ रहा हैं। जिससे घबरा कर Twitter कंपनी ने कोर्ट को बताया कि, वह देश के IT नियमों का पालन कर रहा है। साथ ही तय दिशा-निर्देशों के तहत कंपनी ने 28 मई को ही स्थानीय ग्रीवयांस ऑफिसर की नियुक्ति कर दी है। ये ऑफिसर स्थानीय शिकायतों का निपटारा करेगा’

Twitter का कहना :

यह तो सभी जानते है कि, मोदी सरकार द्वारा जान नए नियम जारी किए गए थे, तब Twitter की तरफ से काफी नाटक देखने को मिले थे। जबकि पिछले दिनों ही Twitter ने नियम को मैंने की बात कही थी और अभी Twitter द्वारा कोर्ट को भी नियम मैंने को लेकर बात कही गई है। Twitter का कहना है कि, वह सरकार के नियमों को मान रही है, जबकि केंद्र सरार ने इस बात को गलत ठहराते हुए कहा है कि, Twitter इन नियमों को नहीं मान रही है।

दोनों के बीच देखने को मिली तनातनी :

Twitter के खिलाफ दायर की गई याचिका को लेकर हो रही सुनवाई के दौरान दिल्‍ली हाईकोर्ट Twitter और सरकार के बिच एक बार फिर तनातनी देखने मिली। तब हाई कोर्ट में Twitter ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, हमने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए सभी कानूनों का पालन किया है जबकि केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसा नहीं किया गया है।‘ जबकि, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि, ‘Twitter खोखली व आधारहीन बातें करना बंद करे और भारतीय कानून का पालन करे। कानून और नीतियां बनाना देश का संप्रभु अधिकार है। Twitter महज एक सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म है। लिहाजा, उसे यह बताने का कोई अधिकार नहीं है कि भारत का कानून या नीतियों की रूपरेखा कैसी होनी चाहिए।’

याचिका के अनुसार :

वकील अमित आचार्य ने याचिका में कहा था कि, ‘केंद्र सरकार ने इसी साल 25 फरवरी को नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को जारी करते हुए Twitter सहित सभी सोशल मीडिया नेटवर्कों को 3 माह के भीतर इस पर अमल करने का निर्देश दिया था। 25 मई को समय सीमा समाप्त होने के बाद भी Twitter ने अब तक अपने प्लेटफॉर्म पर ट्वीट के बारे में शिकायतों के निवरण के लिए स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति नहीं की है। सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 को केंद्र सरकार 25 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया था। इसके तहत सोशल मीडिया नेटवर्कों को इस बात का पता लगाना होगा कि, कोई मैसेज सबसे पहले किसने भेजा। इसके साथ ही किसी पोस्ट, मैसेज के बारे में शिकायतों का निवारण के लिए स्थानीय शिकायत अधिकारी नियुक्त करने को कहा है।

Twitter का बयान :

बताते चलें, Twitter कंपनी की तरफ से इससे पहले गुरुवार को जारी किए गए बयान में कहा गया था कि, ‘भारत में बने नियमों में से जिसे हम लागू कर सकते हैं, उसे लागू करने की कोशिश करेंगे। लेकिन, हम अभिव्यक्ति की आजादी और पुलिस की धमकाऊ प्रवृत्ति को लेकर चिंतित हैं। हम नियमों को लागू करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ये पूरी तरह पारदर्शिता के उसूलों के साथ होगा। हम भारत के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारी सर्विस भारत में कम्युनिकेशन के लिए प्रभावी जरिया साबित हुई है। महामारी के समय ये संबल का जरिया भी बनी है। हम भारत में अपने कर्मचारियों के साथ हुई घटनाओं को लेकर भी परेशान हैं। हम पूरे मामले में भारत सरकार के साथ अपनी बातचीत को जारी रखेंगे। हमारा मानना है कि इस मामले में दोनों ओर से सहयोगात्मक रवैया अपनाना जरूरी है।

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